Madhu varma

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लेखनी कविता -दूसरों के लिए - बालस्वरूप राही

दूसरों के लिए / बालस्वरूप राही


मधुमक्खी कण- कण कर फूलों-
से जो मधु ले आती हैं,
केवल वह ही नहीं, उसे तो
सारी दुनिया खाती है।
हरे वृक्ष पत्तों से पाठ को
छायादार बनाते हैं,
उन के नीचे बैठ सभी तो
अपनी थकान मिटाते हैं।
सह कर कष्ट, दूसरों को सुख-
पहुँचाना है काम बड़ा,
जो एस करते है उन का-
ही होता है नाम बड़ा।

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